Bihar Board Class 10th Social science Vvi Question answer 2025 : भूमि संसाधन महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर

Bihar Board Class 10th Social science Vvi Question answer 2025 : भूमि संसाधन महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर

नमस्कार दोस्तों यदि आप भी मैट्रिक परीक्षा 2025 में देने वाले हैं तो आपके लिए महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर लेकर आए हैं जो कि इस आर्टिकल में हम आपको सामाजिक विज्ञान का वैसा क्वेश्चन बताने वाले हैं जो सीधे आपके परीक्षा में आने वाले हैं तो आप इस क्वेश्चन को याद जरूर करें इस आर्टिकल में लॉन्ग क्वेश्चन एवं शॉर्ट क्वेश्चन दोनों बताए गए हैं और यह काफी वायरल प्रश्न है जो 2025 के परीक्षा में आने का संभावना है

Bihar Board Class 10th Social science

Class 10th : भूमि संसाधन

प्रश्न 1. जलोढ़ मृदा के विस्तार वाले राज्यों के नाम बताएँ। इस मृदा में कौन-कौन सी फसलें लगाई जा सकती हैं?

उत्तर– जलोढ़ मृदा का विस्तार उत्तर भारत के पूरे मैदानी क्षेत्र में है। राजस्थान तथा गुजरात के भी कुछ क्षेत्र में जलोढ़ मृदा पाई जाती है। यह वहाँ एक सँकरी पट्टी के रूप में सिमटी हुई है।

जलोढ़ मृदा में गन्ना, धान, गेहूँ, मक्का, दलहन- जैसे अरहर, चना, मूंग, उड़द, मटर, मसूर आदि फसलें प्रमुखता से लगाई या उपजाई जा सकती हैं।

प्रश्न 2. समोच्च कृषि से आप क्या समझते हैं?

उत्तर समोच्च कृषि से तात्पर्य समोच्च जोताई द्वारा की जाने वाली कृषि से है। खासकर पहाड़ी क्षेत्रों में, जहाँ वर्षा जल तीव्रता से ढाल पर बह जाता है और अपने साथ उपजाऊ मिट्टी भी बहा ले जाता है, को रोकने के लिए समोच्च जोताई की जाती है। इससे वर्षा जल उपजाऊ मिट्टी को बहाने नहीं पाती तथा खेत में नमी भी बनी रहती है।

प्रश्न 3. पवन अपरदन वाले क्षेत्र में कृषि की कौन-सी पद्धति उपयोगी मानी जाती है?

उत्तर– पवन अपरदन वाले क्षेत्र में पट्टिका कृषि उपयोगी मानी जाती है। इस कृषि पद्धति में फसलों के बीच घास की पट्टियाँ विकसित की जाती हैं। इन घास की पट्टियों के कारण पवन का जोर खेत की मिट्टी को उड़ा पाने में सक्षम नहीं हो पाता। इसके अलावा ध्यान रखा जाता है कि खेत कभी खाली नहीं रहने पावे। इसके लिए अनवरत कृषि पद्धति भी अपनानी पड़ती है।

प्रश्न 4. भारत के किन भागों में नदी डेल्टा का विकास हुआ है। यहाँ की मृदा की क्या विशेषता है?

उत्तर– भारत के पूर्वी तट के अनेक क्षेत्रों में डेल्टा का विकास हुआ है। पश्चिम बंगाल में गंगा का डेल्टा विश्व प्रसिद्ध है। इसके अलावे महानदी, गोदावरी, कृष्णा और कावेरी नदी के मुहानों पर डेल्टा का विकास हुआ है।

यहाँ की मृदा की विशेषता है कि इन सभी डेल्टाओं पर जलोढ़ मृदा पाई जाती है, जो काफी उपजाऊ होती है। स्थानानुसार डेल्टाओं पर धान, जूट, पाट कुछ गेहूँ, मक्का, ‘दलहन आदि उपजाए जाते हैं।

प्रश्न 5. जलाक्रांतता कैसे उपस्थित होती है? मृदा अपरदन में इसकी क्या भूमिका है?

उत्तर– अधिक सिंचाई या अतिवर्षण से जलाक्रांतता उपस्थित होती है। मृदा अपरदन में इसकी भूमिका यह होती है कि मृदा में लवणीयता तथा क्षारीयता की वृद्धि हो जाती है। इस कारण भूमि का निम्नीकरण हो जाता है और उसकी उपज शक्ति क्षीण हो जाती है। परिणामतः अन्न की कमी होने लगती है, जिससे अकाल का सामना करना पड़ता है। वैसी भूमि में ऐसा कुछ भी नहीं उपजता, जिसके बदले खाद्यान्न प्राप्त किया जा सके।

ऐसी निम्नीकरण वाली भूमि आधुनिक मानव सभ्यता के लिए विकट समस्या है। मानव सभ्यता के लिए यह एक चुनौती है। लेकिन यदि मानव को जीवित रहना है, सभ्यता को कायम रखना है तो हमें इस चुनौती को स्वीकार करना पड़ेगा। कुछ ऐसे उपाय करने होंगे कि भूमि फिर से उपजाऊ बन जाय। रासायनिक उर्वरकों को त्याग कर जैविक खाद का उपयोग हो। पहले दलहन और तेलहन की खेती की जाय। उसके बाद गेहूँ या जौ बोया जाय। धीरे-धीरे कुछ वर्षों बाद वह भूमि निश्चय ही उपजाऊ हो जाएगी। इसके अलावा सरकार द्वारा संचालित कृषि विभाग के विशेषज्ञों से राय ली जाय। वे जैसा बताएँ उन उपायों को अपनाने से वह खेत अवश्य ही उपजाऊ हो जाएगा। खेत जलाक्रांत हो ही नहीं, इसके लिए आवश्यक है कि सिंचाई कम की जाय। उस खेत में वैसी फसलें लगाई जायें, जिन्हें कम जल की आवश्यकता होती हो। दूसरी बात यह है कि यदि वर्षा जल उस खेत में एकत्र होता हो तो उसे खेत से निकालने का प्रबंध किया जाय।

प्रश्न 6. भूमि संसाधन क्या है?

उत्तर– सभी संसाधनों का मुख्य स्रोत भूमि ही है। जीव भूमि पर उपजे अन्न-फल या मांस-मछली खाकर जीवित रहता है। जीव, खासकर मनुष्य के संदर्भ में हम कहें तो कह सकते हैं कि मनुष्य भूमि पर ही जन्म लेता है, इसी के अन्न-जल खाकर जीवित रहता है और मृत्यु उपरान्त इसी पर जलाया या इसी में दफन किया जाता है।

भूमि के अनेक भौतिक रूप है। जैसे- मैदान, पर्वत, पठार, घाटियाँ और समुद्र तथा नीची तथा ऊँची भूमि। मनुष्य के सम्पूर्ण कार्य-चाहे वह आर्थिक हो या अनार्थिक भूमि पर ही सम्पन्न होते हैं। अतः सभी संसाधनों में भूमि संसाधन अधिक महत्त्वपूर्ण है।

प्रश्न 7. पृदा क्या है? मृदा निर्माण के कारकों के नाम लिखें।

उत्तर– मृदा भूमि का एक महत्त्वपूर्ण भाग है। संक्षेप में हम कह सकते हैं कि सभी मिट्टी मृदा नहीं है लेनिक सभी मृदा मिट्टी है। कुछ सेंटीमीटर गहराई तक की भूमि को ही मृदा कहते हैं, जिसमें हम कृषि कार्य करते हैं। उससे नीचे की मिट्टी मात्र मिट्टी ही है।

मृदा निर्माण के कारक निम्नलिखित हैं:

(क) उच्चावच या धराकृति, (ख) मूल शैल या चट्टान, (ग) जलवायु, (घ) वनस्पति,(ङ) जैव पदार्थ, (च) खनिज कण तथा (छ) समय।

प्रश्न 8. मृदा निर्माण की प्रक्रिया बताएँ ।

उत्तर– तापमान में बदलाव, प्रवाहित जल की किया, पवन, हिमनद, अपघटन ऐसी प्रक्रियाएँ है, जो मृदा निर्माण में सहायता करती है। इस प्रक्रिया में जैविक एवं रासायनिक परिवर्तन भी मृदा निर्माण में महत्त्व रखती है। संक्षेप में हम कह सकते हैं कि जैव और अजैव दोनों प्रकार के पदार्थ भाग लेते हैं। जैव पदार्थ ह्यूमस की प्रमुखता है।

निष्कर्ष – दोस्तों इस आर्टिकल में आप सभी को कक्षा दसवीं के महत्वपूर्ण सब्जेक्टिव क्वेश्चन बताया गया है जो आपका परीक्षा के भी उससे काफी महत्वपूर्ण है

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