Bihar Board Matric 17 February Hindi Viral Question Paper 2025 | Matric Hindi 17 February 2025
नमस्कार दोस्तों यदि आप भी 17 फरवरी का मैट्रिक परीक्षा हिंदी का देने वाले हैं 2025 में तो आपके लिए वायरल प्रश्न पत्र लेकर आ चुके हैं हम आपको वैसा प्रश्न बताएंगे जिससे आपको सीधा परीक्षा में 100% है क्वेश्चन लड़ने वाला है, तो आप लोग इस क्वेश्चन को तैयारी काफी बेहतर कर लीजिए क्योंकि हम इसमें आपको टोटल वही सब्जेक्टिव क्वेश्चन बताएंगे जो सीधा आपका परीक्षा में आने वाला है और नीचे दिए गए व्हाट्सएप और टेलीग्राम को जरूर ज्वाइन कर लेंगे तो चलिए हम नीचे आपको कुछ महत्वपूर्ण सब्जेक्टिव क्वेश्चन देते हैं जो सीधा आपकी परीक्षा हॉल में देखने को मिलेंगे
17 February Hindi Viral Question Paper 2025 जल्दी याद कर लो 100% यही
प्रश्न 1. कहानी के शीर्षक की सार्थकता स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर– कहानी कला की दृष्टि से प्रस्तुत कहानी ‘विष के दाँत’ का शीर्षक सार्थक है, क्योंकि इस कहानी का उद्देश्य मध्यवर्गीय अन्तर्विरोधों को उजागर करना है। जहाँ एक ओर सेन साहब जैसे महत्त्वाकांक्षी तथा सफेदपोश अपने भीतर लिंग भेद जैसे कुसंस्कार छिपाए हुए हैं, वहीं दूसरी ओर गिरधर जैसे नौकरी-पेशा अनेक तरह की थोपी गई बंदिशों के बीच भी अपने अस्तित्व को बहादुरी एवं साहस के साथ बचाए रखने के लिए संघर्षरत है। यह कहानी सामाजिक भेदभाव लिंग-भेद तथा आक्रामक स्वार्थ की छाया में पलते हुए प्यार-दुलार के कुपरिणामों को उभारती हुई सामाजिक समानता एवं मानवाधिकार की बानगी पेश करती है। कहानी का शीर्षक ‘विष के दाँत’ इसलिए भी उपयुक्त है, क्योंकि इसी विष के दाँत अर्थात् काशू के जन्म लेते ही सेन-पुत्रियाँ उपेक्षित हो जाती है, मदन मार खाता है तथा गिरधर को नौकरी से हटा दिया जाता है।
प्रश्न 2. सेन साहब के परिवार में बच्चों के पालन-पोषण में किए जा रहे लिंग आधारित भेद-भाव का अपने शब्दों में वर्णन कीजिए ।
उत्तर– सेन साहब के परिवार में लड़कियों तथा लड़के के पालन-पोषण के अलग- अलग नियम थे। पाँचों लड़कियों के लिए अलग नियम थे, दूसरी तरह की शिक्षा थी और खोखा (पुत्र) के लिए अलग, क्योंकि वह नाउम्मीद बुढ़ापे की आँखों का तारा था। लड़कियों को अलग ढंग की तालीम सिखाई गई थी। उनके खेलने-कूदने तथा बोलने पर पाबंदी थी। वे बिना आदेश के घर से बाहर नहीं निकल सकती थीं। वे घर में कठपुतलियों की तरह थी, जबकि खोखा बुढ़ापे की संतान होने के कारण जीवन के नियम का अपवाद होने के साथ-साथ घर के नियमों का भी अपवाद था। उस पर किसी भी प्रकार की पाबंदी नहीं थी। उसकी हरकत पर सेनसाहब का कहना था कि ‘उसे तो इंजीनियर होना है, इसलिए वह अभी से कुछ-न-कुछ जानकारी लेना चाहता है।’ घर में लिंग-भेद ऐसा ही था कि शरारती खोखे की प्रशंसा की जाती थी किंतु तहजीब एवं तमीज की मूर्ति पुत्रियों की चर्चा तक नहीं होती थी।
प्रश्न 3. खोखा किन मामलों में अपवाद था?
उत्तर– सेन साहब को पाँच पुत्रियाँ थीं। पुत्र का आविर्भाव तब हुआ जब संतान की कोई उम्मीद बाकी नहीं रह गई थी। अर्थात् सेन साहब को पुत्र तब नसीब हुआ जब पति-पत्नी दोनों बुढ़ापे के अंतिम पड़ाव पर पहुँच चुके थे। इसलिए खोखा जीवन के नियमों के अपवाद के साथ-साथ घर के नियमों का भी अपवाद था।
प्रश्न 4. सेन दंपती खोखा में कैसी संभावनाएँ देखते थे और उन संभावनाओं के लिए उन्होंने उसकी कैसी शिक्षा की व्यवस्था की थी?
उत्तर– सेन दंपत्ति खोखा में इंजीनियर बनने की संभावनाएँ देखते थे, क्योंकि वह आखिर उनका बेटा जो था। उसे इंजीनियर बनाने के लिए वैसी ही ट्रेनिंग दी जा रही थी। वे उसे अपने ढंग से टेंड कर रहे थे। उसकी शिक्षा की व्यवस्था यह की गई थी कि कोई कारखाने का बढ़ई-मिस्त्री दो-एक घंटे आकर उसके साथ ठोंक-पीठ किया करे, ताकि उसकी उँगलियाँ अभी से औजारों से वाकिफ हो जायें।
प्रश्न 6. सेन साहब और उनके मित्रों के बीच क्या बातचीत हुई और पत्रकार मित्र ने उन्हें किस तरह उत्तर दिया ।
उत्तर– सेन साहब और ड्राइंग रूम में बैठे उनके मित्रों के बीच बातचीत हुई कि वह अपने पुत्र को अपने ढंग से ट्रेंड करेंगे, क्योंकि वह उसे अपनी तरह बिजनेस-मैन या इंजीनियर बनाना चाहते हैं। वहाँ बैठे पत्रकार महोदय से जब उनके बच्चे के विषय में उनका ख्याल पूछा गया, तब उन्होंने उत्तर दिया कि उनका पुत्र जेटिलमेन जरूर बने और • जो कुछ बने या न बने, उसका काम है, उसे पूरी आजादी रहेगी। पत्रकार महोदय ने उन्हें शिष्टतापूर्ण, किन्तु व्यंग्यात्मक ढंग से उत्तर दिया।
प्रश्न 8. काशू और मदन के बीच झगड़े का कारण क्या था? इस प्रसंग के द्वारा लेखक क्या दिखाना चाहता है?
उत्तर– काशू और मदन के बीच झगड़े का कारण गरीबी और अमीरी का भेद था। मदन एक सामान्य किरानी का बेटा है और काशू सेन साहब की नाक का बाल है। काशू के कारण ही पिता ने मदन को मारा-पीटा था। इसी कारण मदन काशू को अपने दल में न तो शामिल करता है और न ही मांगने पर लट्टू ही देता है। फलतः अमीरी में उबाल आ जाती है। काशू मदन को जैसे ही घूंसा मारता है कि द्वन्द्व युद्ध शुरू हो जाता है। यह लड़ाई हड्डी और मांस की, बंगले के पिल्ले और गली के कुत्ते की लड़ाई अहाते के बाहर होने के कारण महल की हार होती है। लेखक इस प्रसंग के द्वारा यह संदेश देना चाहता है कि सामाजिक फूट के कारण ही गरीबों पर अमीरों का वर्चस्व कायम है। यदि गरीब संगठित हो जायें तो अमीरों द्वारा किया जाने वाला सारा शोषण स्वतः बन्द हो जाएंगा।
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